जासं, प्रतापगढ़ : चित्रकूट जेल में शुक्रवार को पुलिस मुठभेड़ में मारा गया कुख्यात अपराधी अंशुल दीक्षित प्रतापगढ़ जेल में भी बंद रह चुका है। यहां से उसे सुल्तानपुर जेल भेज दिया गया था। दर्जनों हत्या और लूट के मामलों में आरोपित अंशुल दीक्षित सीतापुर का रहने वाला था। वर्ष 2018 में वह रायबरेली जेल में बंद था, वहां पर कैदियों में बवाल मचा तो उसे प्रतापगढ़ जेल ट्रांसफर कर दिया गया था। यहां पर उसे कड़ी निगरानी में रखा गया। जेल सूत्रों के मुताबिक वह शार्ट टैंपर था। बात-बात में झगड़ा कर लेना उसके स्वभाव में शामिल था। उसकी हरकतों से तंग आकर जेल प्रशासन उसकी बैरक बदलता रहता। हालांकि यहां पर सख्ती के कारण अंशुल दीक्षित कोई बड़ी हरकत नहीं कर सका। यहां से एक साल बाद उसे सुल्तानपुर जेल भेज दिया गया था। चित्रकूट की घटना से एकबार फिर चर्चा में आया अंशुल दीक्षित का प्रतापगढ़ के किसी अपराध में कभी नाम नहीं आया था। सिर्फ जेल में वह जब वर्ष 2018 में बंद रहा तो उसका दबदबा प्रतापगढ़ की जेल में भी महसूस किया गया था। छत से गिरे मासूम की मौत
संवाद सूत्र, सुवंसा, प्रतापगढ़ : किराना व्यापारी की हत्या और दो लाख की लूट की सनसनीखेज वारदात से पांडेयतारा गांव में लोगों में आक्रोश है। पुलिस इस लूट के पीछे जो थ्यूरी बतायी है, उससे इस संगीन वारदात को अंजाम देने का तरीका कहीं मेल नहीं खा रहा। वहीं दो समुदायों से विवाद जुड़ा होने के कारण तनाव भी व्याप्त है। पुलिस ने बदमाशों की तलाश में रामदेवपट्टी गांव में दबिश दी, लेकिन सफलता नहीं मिली। वहीं पड़ोसी जिलों की पुलिस से भी इस मामले में संपर्क करने की कोशिश की गई। हालांकि देर रात तक बदमाशों के बारे में कोई सुराग पुलिस को नहीं लग पाया। पांडेयतारा गांव निवासी अखिलेश सिंह की घर से कुछ दूर पर गांव में ही फतनपुर-बीरापुर मार्ग पर किराना, खाद व बीज, बेकरी की दुकान है। साथ ही आरओ का प्लांट भी लगा है। लाकडाउन के कारण वह दुकान बंद रखते थे। सिर्फ बेकरी की दुकानों पर सेल्समैन के जरिए आपूर्ति करते थे। साथ ही प्लांट से आरओ का पानी भी ग्राहकों को भिजवाते थे।
संसू, प्रतापगढ़ : सड़क हादसे में घायल सिपाही का वेतन रोकने के मामले सीएम को ट्वीट किए जाने के बाद एसपी बैकफुट पर आ गए और सिपाही का वेतन जारी कर दिया। इस तरह दैनिक जागरण की खबर से सिपाही को न्याय मिल गया। कंधई थाने के पीआरवी में तैनात सिपाही अर्जुन मौर्य 28 मार्च को ड्यूटी से बाइक से करिस्ता गांव स्थित अपने कमरे पर लौट रहा था। रास्ते में चिलबिला के पास बाइक से भिड़ंत होने से वह घायल हो गया था। जिला अस्पताल में इलाज के दौरान आराम नहीं हुआ तो स्वजन उसे प्रयागराज के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। अभी भी उसकी हालत में सुधार नहीं है। वह प्रयागराज में अपने घर पर रहकर हर पांच दिन पर अस्पताल चेकअप कराने जाता है।